Thursday, 28 March 2019

योगी राजा को और मुर्दे को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। बोला, "हे राजन्! तुमने यह कठिन काम करके मेरे साथ बड़ा उपकार किया है। तुम सचमुच सारे राजाओं में श्रेष्ठ हो।" इतना कहकर उसने मुर्दे को उसके कंधे से उतार लिया और उसे स्नान कराकर फूलों की मालाओं से सजाकर रख दिया। फिर मंत्र-बल से बेताल का आवाहन करके उसकी पूजा की। पूजा के बाद उसने राजा से कहा, "हे राजन्! तुम शीश झुकाकर इसे प्रणाम करो।" राजा को बेताल की बात याद आ गयी। उसने कहा, "मैं राजा हूँ, मैंने कभी किसी को सिर नहीं झुकाया। आप पहले सिर झुकाकर बता दीजिए।" योगी ने जैसे ही सिर झुकाया, राजा ने तलवार से उसका सिर काट दिया। बेताल बड़ा खुश हुआ। बोला, "राजन्, यह योगी विद्याधरों का स्वामी बनना चाहता था। अब तुम बनोगे। मैंने तुम्हें बहुत हैरान किया है। तुम जो चाहो सो माँग लो।" राजा ने कहा, "अगर आप मुझसे खुश हैं तो मेरी प्रार्थना है कि आपने जो चौबीस कहानियाँ सुनायीं, वे, और पच्चीसवीं यह, सारे संसार में प्रसिद्ध हो जायें और लोग इन्हें आदर से पढ़े।" बेताल ने कहा, "ऐसा ही होगा। ये कथाएँ ‘बेताल-पच्चीसी’ के नाम से मशहूर होंगी और जो इन्हें पढ़ेंगे, उनके पाप दूर हो जायेंगे।" यह कहकर बेताल चला गया। उसके जाने के बाद शिवजी ने प्रकट होकर कहा, "राजन्, तुमने अच्छा किया, जो इस दुष्ट साधु को मार डाला। अब तुम जल्दी ही सातों द्वीपों और पाताल-सहित सारी पृथ्वी पर राज्य स्थापित करोगे।" इसके बाद शिवजी अन्तर्धान हो गये। काम पूरे करके राजा श्मशान से नगर में आ गया। कुछ ही दिनों में वह सारी पृथ्वी का राजा बन गया और बहुत समय तक आनन्द से राज्य करते हुए अन्त में भगवान में समा गया।

अजीब से हालात है मेरी जिंदगी के,
दिन ढलता भी नहीं और रात होती है।
मुसकुराना काफी नहीं है इस महफ़िल में,
यहां तो आंसुओं के जरिये बात होती है।
2.    
इश्क के बाजीगरों को रोते देखा है अकेला,
इन तनहाइयों से जब मुलाकात होती है।
लौट कर मत आना मेरी जिंदगी में,
हर अंजाम पर एक शुरुआत होती है।
3.    
मैं हैरान था, परेशान था खामोश हवाओं के बावजूद,
क्यों ये शांत समंदर तेरे कदमों की आहट पाकर हिल उठा था।
लोगों को ऐसे खबर हो गई तेरी मुहब्बत की 'दवे',
उसके जिक्र भर से तेरा चेहरा खिल उठा था।
4.    
ये वक़्त भी गुजर गया बातों-बातों में,
दूरियाँ बदल न सकी मुलाकातों में
बिजलियों को छूने की तमन्ना सी जगी है,
यहाँ सिर्फ धुआँ हैँ तो आग कहाँ लगी है
5.    
गुजर जाती है हर शाम उस वक्त को याद कर के,
जो वक्त हसीं तो नहीं मगर अपना हुआ करता था।
तुझे खोकर भी इतनी ही शिद्दत से याद है मुझे,
तुझे पाना एक खूबसूरत सपना हुआ करता था।
6.    
उसका कुछ नहीं बिगड़ा 'दवे' तेरी नाराजगी देख कर भी,
मेरे आंसुओं का क़र्ज़ न उतारा गया।
और वो हंस कर नहीं बोली मुझसे आज एक बार,
मैं दिन में कितनी बार बेमौत मारा गया।
7.    
हर किसी को कहना है, कोई सुनने को तैयार नहीं,
बातें भी बिन मतलब की जिनका कोई सार नहीं।
आओ हम कम बोले, आँखों से ज्यादा बात करें,
जो लफ्जों में मुमकिन न हो, ख़ामोशी से वो बात कहे।
8.    
टूट कर बिखरना तो आईनों की फितरत है मेरे यार,
बस तुम्हारी दुआओं की कशिश मुझे बिखरने नहीं देती।
कब तक ये टुकड़े इस सीने के सहेज कर रखूँ,
मौत सामने है पर जिंदगी मुझे मरने नहीं देती।
9.    
इतना तो रहम कर मुझ पर ऐ दिलबर,
तू मेरा यूं दिल दुखाना छोड़ दे।
और इतना भी नहीं होता तुझसे मेरे सनम,
तो एहसान कर और मुसकुराना छोड़ दे।
10.  
नाम लिखते है मिटाते है,
अपने ही नाम से अपना दिल बहलाते है।
उसका नाम समाया है मेरे नाम में,
इसी बहाने खुद को उसकी याद दिलाते है।
11.  
किताब-ए-इश्क़ के हर पन्ने पर एक ही ख़ुशबू थी,
इबादत-इ-इश्क़ का कभी नूर नहीं जाता।
हवा उड़ा तो देती है सूखे हुए पत्तों को,
शज़र कभी जड़ो से दूर नहीं जाता।
12.  
ज़िन्दगी इतनी हसीन तो नहीं,
पर तुम्हारे इंतजार में जीये जा रहे हैं।
ज़हर कौन पीता है जानबूझकर,
इक हम हैं जो शौक से पीए जा रहे हैं।
13.  
हर शख़्स के अपने किस्से हैं, अपनी कहानियाँ,
यादें गमगीन दे जाती हैं, हसीन जवानियाँ,
'दवे' ये तनहाई ये सूनापन हर किसी के नसीब में नहीं,
कई तूफानों के बाद आती है ये वीरानियाँ।
14.  
बेहिसाब बिजलियों की लपटे अपने दामन में समेटे है,
उसे छूआ भी नहीं और बेहोश हो गए।
कितने मयखाने उसके लबों पर मुसकुराते रहते है,
बिना चूमे ही हम मदहोश हो गए।
15.  
ये इंतजार, ये रात कभी रुखसत नहीं होंगे इस ज़िन्दगी से,
ये मुकद्दर की बातें है ख़ुदा जाने क्या होगा।
कभी सुबह की चटख धूप भी खिलेगी,
या जाने सिर्फ धुआँ-धुआँ होगा।
16.  
जिस दीपक के उजियारे से तेरा चेहरा रोशन होगा,
उस दीपक के नूर की ख़ातिर हैं ये शमा जलाए है,
काश कोई हमको बतला दे,
तेरी आँखों के दीपक में कितने राज़ समाए है।
17.  
कहाँ गई उनके चेहरे की मासूमियत,
अब तो उनकी आँखों से ही डर लगता है।
रात को कब्रगाह का सन्नाटा कबूल है,
पर हमें ख़ुद की साँसों से भी डर लगता है।
18.  
तुझ पर विश्वास तो पूरा था मेरी तमन्ना--ज़िन्दगी,
जानता न था किस्मत भी दगा दे जाती है।
तुम्हारे प्यार ने मुझे जीना सिखाया था दिल खोलकर,
मगर हाथों की लकीरें भी धोखा दे जाती है।
19.  
वफ़ा की उम्मीद और तुमसे,
आफ़ताब दिन में न रोशन हो जाए।
बारिश तभी मुमकिन है मेरे दोस्त,
जब अश्कों के बादल इस मौसम हो जाए।
20.  
अजीब है मेरी ज़िन्दगी तुझे मुड़-मुड़ कर देखना,
तू मेरी न रही मैं तेरा न रहा।
और हमने क्या पा लिया एक दूजे को खोकर,
तू तेरी न रही मैं मेरा न रहा।

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Storie Published @ 2014 by Ipietoon